की सुख-सुविधाओं से भरपूर करना एक तरह का आन्तरिक उपनिवेशवाद ही कहा जायेगा,
3.
अविनाश जी: ठीक है जब आप मौका ही दे रहे हैं तो भरपूर करना है।
4.
गाँवों की कीमत पर शहरों को हर तरह की सुख-सुविधाओं से भरपूर करना एक तरह का आन्तरिक उपनिवेशवाद ही कहा जायेगा, जिसने तमाम समस्याओं को जन्म दिया।
5.
इन त्योहारों पर की जाने वाली सब प्रकार की पूजा, ध्यान, अनुष्ठान, पकवान, साज-सज्जा, सज-धज, राग-रंग के पीछे मूल उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मंगल मिलन कराना और आत्मा को ईश्वरीय विरासत से भरपूर करना ही होता है।
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इन त्योहारों पर की जाने वाली सब प्रकार की पूजा, ध्यान, अनुष्ठान, पकवान, साज-सज्जा, सज-धज, राग-रंग के पीछे मूल उद्देश्य आत्मा का परमात्मा से मंगल मिलन कराना और आत्मा को ईश् वरीय विरासत से भरपूर करना ही होता है।